October 4, 2024
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Ayodhya उत्साह का चरम दीवाली से भी बढ़कर रहा

उत्साह का यह चरम क्या कह रहा है इसे जरा ध्यान से सुनिए, यह वह सिहंनाद है जो रावण की सभा में जाग जाए तो लंका तहस नहस कर दे लेकिन इस जागृति के लिए किसी जामवंत की जरुरत होती है. वह जो आपको याद दिलाए कि आप क्या कर सकते हो और कहे ‘का चुप साध रहेऊ बलवाना’ उस जामवंत की भूमिका यहीं पूरी हो जाती है. वह आपके साथ लंका नहीं आने वाले हैं न रास्ते के खतरों से जूझने की आपकी सामर्थ्य पर उन्हें कोई शंका है और न इस बात पर कि इतने बलशाली राज्य में आप अकेले दुश्मन से कैसे निपटेंगे. डनहें पता है कि एक बार आपकी सामर्थ्य का जागरण हो गया तो न आप रुकने वाले हैं और न कोई ऐसा हो सकता है जो आपको रोकने का दुस्साहस कर सके. कुछ ऐसे भी लोग मिल जाएंगे जो कहेंगे कि राममय होने की यह अति हो गई लेकिन यकीन मानिए राम हमारे भीतर इतने ही समाए हुए हैं, वे वन जाएं तो वन की समस्याएं सुलझ जाएं, शबरी, केवट और अहल्या धन्य हो जाएंण. सुग्रीव और विभीषण दुखों से निजात पाएं और जब वे अयोध्या लौट आएं तो पूरी दुनिया जगमग हो जाए, दीवाली मन जाए. राम क्या हैं इसकी व्याख्श ज्ञानी कर सकते हैं लेकिन राम किसके हैं यह बताने की किसी को जरुरत नहीं क्योंकि जब एक बुजुर्ग दूसरे से राम राम कर रहा हो तो वह उस राम के पूजन में है जिसने माता पिता के कहने पर वनगमन स्वीकार किया. जब एक मत्र दूसरे से राम राम करे तो वह उस सखा राम को पूज रहा है जो अपने मित्र के लिए बलशाली और आधी ताकत खींच लेने के वरद वाले बाली से भी भिड़ जाए. जब एक लाचार राम राम करे तो वह उस शबरी के राम के इंतजार में है जिसके आने से सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और जब भाई राम राम कहें तो वह ल्क्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के उस भाई को अक्षत कुमकुम कर रहे हैं जिसने भ्रातृप्रेम की मिसाल रच दी.आप मानस के हर किरदार को जोड़ते जाएं और पाते जाएंगे कि हम इतने राममय क्यों हैं, कैसे हैं. राम परशुराम के क्रोध को शांत कर देने वाला चरित्र है, राम वानर भालू तक को पूज्य बना देने की शक्ति का नाम है. आज जब राम मय होने का अहसास हर जगह नजर आ रहा है तब उनकी कतई मत सुनिए जिनके लिए कोई सुघटना की संभावना ही नहीं बची है, वे दुर्घटनाओं के इतने आदी हैं कि उन्हें हर जगह शंका, आशंका, कुशंका की ही गुंजाइश नजर आती है. यदि आपने आज नव गति, नव लय ताल छंद नव जैसा कुछ अहसास किया है तो आप सौभाग्यशाली हैं कि आपमें राममय होने की गुंजाइश बची है. न जाने किस के राम आपके सहाय हो जाएं और न जाने किस की सहाय मेंआपके अपने राम काम आ जाएं. एक संकल्प, एक प्रकल्प का इतने अल्प समय में पूर्ण हो जाना वाकई राम जी का ही काम था वरना जिस दिन पहली बार कहा गया कि मंदिर वहीं बनाएंगे तो उन पर हंसने वालों की भी शकलें आपको याद हो आती होंगी. धर्मप्राण देश ने आज यह बता दिया कि धर्म हमारे लिए प्राण है और अब तो जामवंत ने ताकत भी याद दिला ही दी है, यकीन करिए अब यह हनुमत जागृति रुकने वाली नहीं है. राम राम