500 साल बाद अब पगड़ी बंध रही
अयोध्या के करीब ही सरायरासी नाम का गांव है जहां बड़ी संख्या में क्षत्रिय रहते हैं और ये सूर्यवंशी कहलाते हैं, इस गांव के सूर्यवंशी 500 साल पहले पगड़ी पहनना इस शपथ के साथ छोउ़ चुके थे कि जब तक मीर बाकी के तोड़े गए मंदिर को फिर से नहीं बना दिया जाता तब तक वे न पगड़ी पहनेंगे और न ही छतरी लेकर चलेंगे. यह भी कसम खाई गई कि इस ये लोग जूते भी नहीं पहनेंगे.500 साल बाद अब वह मौका आया है जब इस समाज के गजराज सिंह जैसे कई प्रतिज्ञा पीढ़ी दर पीढ़ी मानते आने वाले लोग अब सिर पर पगड़ी धारण कर रहे हैं क्योंकि उनका संकल्प पूरा हो गया है. इस नजरिए से देखें तो यह चित्र मामूली नहीं है जिसमें गजराज जी का पोता उन्हें पगड़ी बांध रहा है और यह एक पांच शतकीय लंबी आस पूरी होने के बाद पूरा होने वाला क्षण आया है. यह चित्र इस बात का भी द्योतक है कि अयोध्या का राम मंदिर किस तरह जनभावनाओं से जुड़ा हुआ हे और इसके बनने के साथ कहां कहां किस किस तरह के संकल्प पूरे हो रहे हैं.