prince मामले के हीरो सुरेंद्र टनल पर भी सक्रिय रहे
करीब 17 साल पहले 21 जुलाई 2006 को कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के एक गाँव में 5 साल के बच्चे प्रिंस को 50 फीट गहरे बोरवेल से निकाले जाने वाली घटना का जिन्हें ब्यौरा याद है उन्हें सुरेंद्र राजपूत का नाम भी जरुर याद होगा क्योंकि तब भी वे हीरो की तरह उभरे थे और इस बार जब टनल हादसे में फंसे लोगों को निकालने की बात हो रही है तब भी यही नाम बार बार सामने आ रहा है क्योंकि इस मामले में भी उनकी बनाई हुई पुली ट्रॉली काफी मददगार रही. राजपूत 18 नवंबर को ही सुरंग पर पहुँच चुके थे हालांकि उन्हें बुलाया नहीं गया थ्साास लेकिन उन्हें लगा कि शायद वे कुछ कर सकेंगे और इसी जज्बे के साथ वे सुरंग तक पहुंचे. हालात का जायजा लेकर उन्होंने पाया कि शायद पुली टॉली कारगर साबित होगी और उन्होंने पुली ट्रॉली बना भी दी. मैनुअल ड्रिलिंग करने वाले रैट माइनर्स टीम के लिए उनकी बनाई 1.25 मीटर लंबी और 0.6 मीटर चौड़ी यह पुली ट्रॉली काफी मददगार साबित हुई क्योंकि चार बेयरिंग वाली इस ट्राली से मैनुअल ड्रिलिंग के बाद निकले मलबे को निकालना अच्छा निर्णय साबित हुआ. वैसे यह पूरा मिशन काफी मिलीजुली सफलता कही जानी चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सक्रियता के साथ रेल विकास निगम लिमिटेड, ONGC , SJVNL, THDC, DRDO , विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय सेना, वायुसेना, सीमा सड़क संगठन, NDRF , राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तरकाशी जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार के बीच समन्वय बनाने का काम मशीनों एवं विशेषज्ञों की आवाजाही के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे औी पीएमओ के 5 अधिकारी 15 दिनों लगातार मौके पर बने कंटेनर में ही रहे, CM भी लगभग हर दिन वहां पहुंचे, जनरल वीके सिंह और नितिन गडकरी ने भी खुद पहुंचकर व्यवस्थाएं देखीं, स्लोवेनिया से ऑगर मशीन विशेष विमान से लाई गईं, रेस्क्यू एक्सपर्ट के लिए कई देशों से संपर्क किया गया और जरुरत अनुसार उन्हें बुलाया गया, अमेरिका से प्लाजमा कटर आया और तत्काल वर्टिकल ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट बनाया गया. अरनॉल्ड डिक्स के नेतृत्व में कई विदेशी विशेषज्ञ लगातार लगे रहे. इस बीच डिक्स के कहने पर ही बाबा बौखनाग का अस्थायी मंदिर बनाकर वहाँ पूजा-अर्चना और प्रार्थना भी की जाती रही.