Budhani and Nehru नेहरु के स्वागत का दंश झेलने वाली बुधनी नहीं रहीं
बुधनी मंझियाइन का नाम भले आपने न सुना हो लेकिन अब जब वेा नहीं रही हैं तो उनके साथ कई किस्से सामने आ रहे हैं. दरअसल मंझियाइन ने धनबाद क्षेत्र में पंचेत डैम के लिए बड़ीी भूमिका निभाई थी जिसका उद्घटन करने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु आए थे. हुआ यूं कि नेहरु के आगमन पर उनका स्वागत फूलमालाओं से किया गया और उन्हीं में से एक माला नेहरु ने उठाकर मंझियाइन के गले में डाल दी.चूंकि संथाल लोगों में इस प्रथा का मतलब जीवनसाथी चुन लिए जाने से लगाया जाता है इसलिए नेहरु तो चले गए लेकिन बुधनी को नेहरु की पत्नी करार दे दिया गया और इस बात के लिए कि उन्होंने अपने समाज से बाहर जाकर शादी की उनके लिए सजा भी तय कर दी गई. हुआ यह था कि बुधनी की जमीन भी इस डैम में चली गई थी और इसकी वजह से उन्हें इस डैम में मजदूरी करने का विकल्प चुनना पड़ा था. इस तरह वो इस डैम को बनाने के लिए चुनी गई पहली मजदूर थीं.इसी नाते डैम पूरा होने पर उन्हें नेहरु के स्वागत की जिम्मेदारी दी गई थी और नेहरु ने उन्हीं से डैम के उद्घाटन का बटन भी दबाने को कहा लेकिन नेहरु के जाने के बाद उन्हें उनकी पत्नी घोषित कर दिया गया था. अब मांग की जा रही है कि बुधनी के निधन के बाद उन्हें सामाजिक तौर पर सम्मान देने के लिए उनका स्मारक बनाया जाए.