The Great Indian Family Review In Hindi: द ग्रेट इंडियन फैमिली
फिल्म समीक्षा – डॉ. अनिल भदौरिया
जब बुरा वक्त आये तो साया भी साथ छोड़ जाता है लेकिन ऐसे में जब परिवार साथ देने को आए और पूरी तरह से हाथ में हाथ मिलाकर खड़ा हो तो क्या कुछ हो सकता है, यही एक लाइना कहानी है ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ नामक फिल्म की. जिसके उतार-चढ़ाव भरे कथानक ने दर्शक को बांधे रखने के साथ एक अभिनव संदेश देने का प्रयास भी किया है. हिंदू – मुस्लिम के मध्य सभ्यता और संस्कृति का जो भारतीय मेल और साथ रहने की सोच है वह भी इसमें झलकती है. जीवन के नैतिक सिद्धांतों से समझौता न करते हुए त्रिपाठी परिवार ने एक छोटे से क़स्बे बलरामपुर में अपने उत्तरदायित्व का जिस प्रकार निर्वहन किया है, वह वाकई प्रेरणादायी भी है जो मानव जीवन के ब्रम्ह तत्व को नये स्वरूप में परिभाषित भी करता है कि किस प्रकार विधर्मी अनाथ बालक को बिना हिचक अपनाने से लेकर असत्य कार्यवाही में हिचक देखने योग्य है. यह मानव मूल्यों का अतिरिक्त सम्मान प्रदर्शन है. सत्कर्म के माध्यम से साख की स्थापना के भी निर्मल विचार पूर्ण रूप से स्थापित होते दिखायी पड़ते है . हालांकि मित्रता में धोखा, व्यवसायिक प्रतियोगिता, साज़िश और वैमनस्यता के जहरनुमा नमक जैसी स्थिति भी फ़िल्म के अंग बन पड़े है परंतु ये भी जीवन के रंग हैं जिनसे इस नागलोक में बचा नहीं जा सकता है. विवादित विषयों पर परिवार के देश के डेमोक्रेटिक मूल्यों को आत्मसात् करते हुए घर के छः सदस्यों के मध्य भी मताधिकार का प्रयोग आश्चर्यचकित कर देता है.
मध्य प्रदेश में इंदौर के पास महेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे, ओंकारेश्वर, मांडव और इंदौर में अभिनीत यह चलचित्र अपने कलाकारों तथा चमकीले-भड़कीले परंतु मनमोहक भजन के कार्यक्रमों के प्रदर्शन से भी आकर्षित करने में सफल होता है. भजन कुमार के रूप में विकी कौशल पर्याप्त रूप से जमे हैं और अन्य कलाकारों जैसे मानुषी छिल्लर और नायक के पिता व चाचा का अभिनय रोचक बन पड़ा है. नर्मदा तट का घाट के किनारे के दृश्य के साथ साथ सूर्योदय के दृश्य तथा ड्रोन व्यू का चित्रण मोहक और मन्त्रमुग्ध करने योग्य है
टीका – नया अनुभव, देखने योग्य