कितनी रास आएँगी नयी नीतियाँ
मीडिया और मनोरंजन उद्योग ने पिछले साल में 2.1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व बनाया लेकिन इसमें रेडियो का योगदान एक प्रतिशत भी नहीं रहा। यानी अब रेडियो महत्त्वपूर्ण माध्यम की सूची से गायब सा ही है. 2018 में रेडियो का जो राजस्व 3,360 करोड़ रुपये था वह 2020 तक आधे से भी कम रह गया और 1,430 करोड़ रुपये रह गया। हालात देख कर रेडियो मिर्ची ने अपने नाम से रेडियो शब्द हटा दिया और नया नाम मिर्ची अनलिमिटेड रख लिया। अधिकतर रेडियो ऑपरेटर्स ने राजस्व का 40 प्रतिशत तक रेडियो से इतर डिजिटल सामग्री, इवेंट जैसे अन्य तरीके से बनाने लगे। अब नई सिफारिशों में एफएम चैनलों पर समाचारों की इजाजत देना, लाइसेंस व्यवस्था को तर्कसंगत बनाना और मोबाइल फोन में एफएम रिसीवर अनिवार्य करने जैसे कदमों से उम्मीदें तो हैं लेकिन ये कदम रेडियो इंडस्ट्री की कितनी मदद कर सकेंगे यह तय नहीं है
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